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Saturday, April 10, 2010

पढना-लिखना सीखो

पढना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालो
पढना-लिखना सीखो ओ भूख से मरने वालो

क ख ग घ को पहचानो
अलिफ को पढना सीखो,
अ आ इ ई को हथियार
बनाकर लडना सीखो

ओ सडक बनाने वालो, ओ भवन उठाने वालो
खुद अपनी किस्‍मत का फैसला अगर तुम्‍हें करना है
ओ बोझा ढोने वालो, ओ रेल चलाने वालो
अगर देश की बागडोर को कब्‍जे में करना है

क ख ग घ को पहचानो
अलिफ को पढना सीखो,
अ आ इ ई को हथियार
बनाकर लडना सीखो

पूछो मजदूरी की खातिर लोग भटकते क्‍यों हैं?
पढो, तुम्‍हारी सूखी रोटी गिद्ध लपकते क्‍यों हैं?
पूछो, मां-बहनों पर यों बदमाश झपटते क्‍यों हैं?
पढो, तुम्‍हारी मेहनत का फल सेठ गटकते क्‍यों हैं?

पढो, लिखा है दीवारों पर महनतकश का नारा
पढो, पोस्‍टर क्‍या कहता है, वो भी दोस्‍त तुम्‍हारा
पढो, अगर अंधे विश्‍वासों से पाना छुटकारा
पढो, किताबें कहती हैं- सारा संसार तुम्‍हारा
पढो, कि हर मेहनतकश को उसका हक दिलवाना है
पढो, अगर इस देश को अपने ढंग से चलवाना है

क ख ग घ को पहचानो
अलिफ को पढना सीखो,
अ आ इ ई को हथियार
बनाकर लडना सीखो

-सफदर हाशमी